क्या आपकी कुण्डली में है विदेश योग?
*👉🏻विदेश यात्रा के लिए किसी भी जन्म कुंडली में बनने वाले मुख्य योग/कारक–*
*1. यदि चन्द्रमाँ कुंडली के बारहवे भाव में स्थित हो तो विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग होता है।*
*👉🏻2. चन्द्रमाँ* यदि कुंडली के छटे भाव में हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
*👉🏻3. चन्द्रमाँ* यदि दशवे भाव में हो या दशवे भाव पर चन्द्रमाँ की दृष्टि हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
*👉🏻4. चन्द्रमाँ* यदि सप्तम भाव या लग्न में हो तो भी विदेश से जुड़कर व्यपार का योग बनता है।.
*👉🏻5.यदि भाग्येश* बारहवे भाव में और बारहवे भाव का स्वामी भाग्य स्थान ( नवा भाव ) में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
*👉🏻5.यदि लग्नेश* बारहवे भाव में और बारहवे भाव का स्वामी लग्न में हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है।
*👉🏻6. भाग्य स्थान में बैठा राहु भी विदेश यात्रा का योग बनाता है।*
*👉🏻7. यदि सप्तमेश* बारहवे भाव में हो और बारहवे भाव का स्वामी सातवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर व्यापार करने का योग बनता है।
*👉🏻8 .–मंगल* भूमि पुत्र हे अगर जन्म कुंडली में विदेश यात्रा के योग हे और मंगल की दृष्टिचतुर्थ भाव में हो या मंगल चतुर्थ भाव में हो ,या चतुर्थेश के साथ मंगल का सम्बन्ध हो तो जातक विदेश में स्थाई नही रहेता …
👉🏻9.–नवम भाव , तृतीय भाव , द्वादश भाव का सम्बन्ध ..प्रबल विदेश योग बनता हे
*👉🏻10 .–द्वादश भाव में राहू*
👉🏻11.–चतुर्थ भाव मात्रु भूमि का भाव हे जब यह भाव पाप करतारी में हो या इस भाव में पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक अपने वतन से दूर रहेता हे
👉🏻12 .–भाग्येश ,सप्तमेश के साथ सप्तम भाव में हो तो जातक विदेश में व्यवसाय करता हे
👉🏻13 .—सप्तमेश की युति कोई भी शुभ ग्रह के लग्न में हो तो जातक को बार बार विदेश जाने का योग बनता हे (जेसे पायलट ,एर होस्टेस )
*👉🏻विशेष ध्यान रखें––*
👉🏻इन सब योगो में चन्द्र का बलवान होना जरुरी हे (चन्द्र मन का करक हे )
👉🏻लग्न और लग्नेश जितना निर्बल उतना विदेश योग प्रबल बनता हे ..
👉🏻चतुर्थ भाव और चतुर्थेश भी निर्बल होना चाहिए
👉🏻भाग्येश की दशा ,द्वादशेश की दशा ,चन्द्र ,केतु ,राहू महादशा में ज्यादातर विदेश जाने का योग बनता हे
👉🏻और शनि ढैया,पनोती का समय भी विदेश जाने के योग बनते हे ||