Wednesday, 27 October 2021

GST का मतलब है

GST का मतलब है – Goods & Service Tax के लिए है | यह वस्तु और सेवाओं के बिक्री, निर्माण और उपयोग पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का कर है | समग्र आर्थिक विकास के उद्देश्य से Goods and Service Tax राष्ट्रीय स्तर पर सेवाओं और वस्तुओं पर लागू किया जाता है | GST को विशेष रूप से केंद्र और राज्यों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाने वाले अप्रत्यक्ष करों को बदलने के लिए बनाया गया है |

GST का मतलब है –

Goods & Service Tax को अलग-अलग देशों द्वारा विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए गए Value Added Tax के रूप में परिभाषित किया जा सकता है | वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर, भिन्न-2 देशों में भिन्न-2 हो सकता है | Goods & Service Tax सरकार के लिए राजस्व एकत्र करने के लिए लगाया जाता है | इस tax का भुगतान वस्तु और सेवाओं के उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है और व्यापार संस्थाओं द्वारा इसे एकत्रित किया जाता है और सरकार को अग्रेषित कर दिया जाता है |



भारत में GST का इतिहास :-

भारत में, Goods and Service Tax Bill को आधिकारिक तौर पर 2014 में संविधान के (120 वें संशोधन) विधेयक, 2014 में पेश किया गया था | GST Bill ने देश भर में बिक्री, निर्माण और विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उपयोग पर nationwide Value Added Tax के कार्यान्वयन का प्रस्ताव रखा | Goods & Service Tax अधिनियम अप्रैल, 2017 से भारत में संचालित होने की संभावना है |

भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली – ने 19 दिसंबर 2014 को लोकसभा में Goods & Service Tax की घोषणा की | विधेयक के पक्ष में 352 वोट और 37 वोट इसके खिलाफ पड़ने के बाद इसे संसद में इसे 6 मई, 2015 को पारित किया |

GST part 2
Current Taxation System :-

GST एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) है | वर्तमान में, भारतीय उपभोक्ताओं को वस्तु और सेवाओं पर अप्रयुक्त कर (Value Added Tax), सेवा कर (Service Tax), उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सीमा शुल्क (Customs Duty) जैसे अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) देने पड़ते हैं | वर्तमान प्रणाली के अंतर्गत, प्रत्येक राज्य को उसके स्वामित्व वाले क्षेत्र में बिक्री और उपभोग के लिए आने वाली वस्तुओं पर अपना कर वसूलने का अधिकार है, जबकि केंद्र वस्तुओं के निर्माण पर कर वसूलती है | व्यापारियों पर लगाए गए ये सभी प्रत्यक्ष कर उपभोक्ताओं द्वारा वहन किये जाते हैं |
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले कर इस प्रकार हैं :
Central Government : Income Tax, Excise Duty or Central VAT, Service Tax, Customs Duty, Central Sales Tax.
State Government: Sales Tax, Value Added Tax, Entertainment Tax, Road Toll, Professional Tax, Stamp Duty, Luxury Tax, Octroi Duty, Capital Gains Tax, Entry tax
Local Administration: Property Tax

इनमें से excise duty/CENVAT, customs duty, service tax, central and state sales tax, VAT, octroy, entry tax, road toll, luxury tax और entertainment tax वस्तु और सेवाओं पर लागू होते हैं |

वर्तमान प्रणाली में एक ही object पर कई करों के लगने से उस पर बोझ बढ़ जाता है जिससे production-retailing-consumption के प्रत्येक चरण में पहले से भुगतान किए गए करों को offset करने का कोई रास्ता नहीं होता | यदि CENVAT और service tax विनिर्माण स्तर पर चुकाए गए हैं, तो ये भविष्य के कर भुगतानों में इसे offset किया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्तर पर दिए गए अन्य करों में से कोई भी पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता |

GST कार्य कैसे करता है :-


GST राज्यों के बीच कराधान (taxation) के अलग-अलग स्तरों को खत्म करने का प्रस्ताव देता है, और जब यह वस्तुओं और सेवाओं पर tax के रूप में आता है तो यह देश को एक segmented creature की वजाय एक single whole organism के रूप में मानता है | सभी करों को सिर्फ 2 स्तरों में जोड़ा जाएगा – Central GST और State GST | उपभोक्ता जो उत्पाद खरीदेगा उसे केवल supply chain में पिछले dealer द्वारा GST Charge का भुगतान करना होगा | जिससे हर किसी के पास पिछले चरणों में किए गए करों के भुगतान को offset करने का अवसर होगा |

GST कुछ वस्तुओं पर लगने वाले कई करों पर भी रोक लगा देगा, और rate of tax के संबंध में और एक उत्पाद पर कर के रूप में सरकार को दी गई कुल राशि के साथ पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा |वर्तमान में, उपभोक्ताओं को बिल पर उल्लेखित Vat के अलावा उत्पाद पर लगने वाले अन्य करों की कुल राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है |

सम्बंधित प्रश्नोत्तर


प्रश्‍नः 1. जीएसटी क्‍या है और यह किस प्रकार काम करता है?

उत्‍तरः जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्‍यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा। जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ता तक वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्‍येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्‍य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्‍ध होगा जो प्रत्‍येक चरण में मूल्‍य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्‍यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्‍ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्‍त हो जायेंगे।
प्रश्‍नः 2. जीएसटी से क्‍या लाभ हैं?

उत्‍तरः जीएसटी के लाभों को संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है:

व्‍यापार और उद्योग के लिए
आसान अनुपालन: एक मजबूत और व्‍यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्‍यवस्‍था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्‍ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।
कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता: जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्‍यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्‍यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्‍दों में जीएसटी देश में व्‍यापार के कामकाज को कर तटस्‍थ बना देगा फिर चाहे व्‍यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये।
करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति- मूल्‍य श्रृंखला और समस्‍त राज्‍यों की सीमाओं से बाहर टैक्‍स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्‍यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।
प्रतिस्‍पर्धा में सुधार – व्‍यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्‍यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्‍पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ – जीएसटी में केन्‍द्र और राज्‍यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्‍तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्‍यापक रूप से समाहित होने और केन्‍द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्‍थानीय रूप से निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्‍तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्‍पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्‍ता तय करना होगा।
केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के लिए
सरल और आसान प्रशासन – केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर बहुआयामी अप्रत्‍यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्‍य प्रत्‍यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा।
कदाचार पर बेहतर नियंत्रण – मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुपालन परिणाम प्राप्‍त होंगे। मूल्‍य संवर्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट कर क्रेडिट कर सुगम हस्‍तांतरण जीएसटी के स्‍वरूप में एक अंत:निर्मित तंत्र है, जिससे व्‍यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्‍साहन दिया जाएगा।
अधिक राजस्‍व निपुणता – जीएसटी से सरकार के कर राजस्‍व की वसूली लागत में कमी आने की उम्‍मीद है। इसलिए इससे उच्‍च राजस्‍व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।
उपभोक्‍ताओं के लिए
वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍य के अनुपा‍ती एकल एवं पारदर्शी कर – केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्‍यक्ष करों या मूल्‍य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्‍ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्‍ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

समग्र कर भार में राहत – निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्‍ता वस्‍तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्‍तओं को लाभ मिलेगा।
प्रश्‍नः 3. केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर कौन से करों को जीएसटी में शामिल किया जा रहा है?

उत्‍तरः

केन्‍द्रीय स्‍तर निम्‍नलिखित करों को शामिल किया जा रहा है –
ए– केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क
बी– अतिरिक्त उत्पाद शुल्क,
सी– सेवा कर,
डी– अतिरिक्त सीमा शुल्क आमतौर पर जिसे काउंटरवेलिंग ड्यूटी के रूप में जाना जाता है, और
ई– सीमा शुल्क का विशेष अतिरिक्त शुल्क।

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